India’s Best Dual-Purpose Breed: The Haryana Cow
हरियाणा गाय की उत्पत्ति (Origins of Hariyana Cow)
हरियाणा गाय, जिसे हांसी भी कहा जाता है, उत्तर भारत की एक प्रमुख दोहरी उद्देश्य वाली नस्ल है। हरियाणा गाय का नाम उत्तर भारत के हरियाणा क्षेत्र से लिया गया है।
- ऐतिहासिक रूप से, इस क्षेत्र में हिसार और हांसी नामक दो गायों की नस्लें पाई जाती थीं, जो अपने मूल नगरों के नाम पर जानी जाती थीं।
- वर्तमान हरियाणा नस्ल इन दो नस्लों से उत्पन्न हुई प्रतीत होती है, हालांकि अब हिसार और हांसी नाम प्रचलन में नहीं हैं।
- हरियाणा गाय का प्रजनन क्षेत्र हरियाणा राज्य के कई जिलों में फैला हुआ है – हिसार , रोहतक , सोनीपत , गुरुग्राम , जींद और झज्जर आदि में।
हरियाणा गाय का वितरण क्षेत्र (Distribution of Hariyana Cow)
हरियाणा गाय हरियाणा राज्य के अलावा उत्तर प्रदेश , राजस्थान (जयपुर , चूरू , झुंझुनू , अलवर) और पंजाब के कुछ हिस्सों में भी पायी जाती है। विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में अनुकूलन की अपनी क्षमता के कारण, यह भारत के विभिन्न उत्तरी राज्यों में पाली जाती है। ऐतिहासिक रूप से, यह नस्ल स्थानीय कृषि कार्यों में महत्वपूर्ण रही है, जिससे दोनों खींचने की शक्ति और दूध प्राप्त होता है।
हरियाणा गाय के मुख्य उपयोग (Main Uses of Hariana Cattle)
हरियाणा गाय दो उद्देश्यों (Dual Purpose Breed) के लिए उपयोग की जाती है। भारत की सबसे अच्छी दोहरी उपयोगिता की नस्ल हरियाणा है।
1. खाद्य – दूध:
- हरियाणा गायें अच्छी दूध उत्पादक (Milk Breed) होती हैं और डेयरी उद्योग में योगदान देती हैं।
2. कार्य – कृषि और परिवहन:
- यह नस्ल मुख्य रूप से बैल उत्पादन के लिए पाली जाती है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य और परिवहन (Farming and Transportation) के लिए आवश्यक होते हैं।
हरियाणा गाय की पहचान (Characteristics of Hariyana Cow)
- हरियाणा गाय मध्यम से बड़ी आकार की होती हैं। इनका मांसल शरीर होता है, और विशेष रूप से बैल मजबूत होते हैं, जो उन्हें कृषि कार्यों के लिए आदर्श बनाते हैं।
- हरियाणा गाय में माथा चौड़ा और अभिव्यक्तिपूर्ण आंखें होती हैं।
- हरियाणा गाय के सींग छोटे और नुकीले होते हैं।
कान (Ear)
- हरियाणा गाय कान छोटे होते है।
पूँछ (Tail)
- हरियाणा गाय की पूँछ Fetlock Joint तक लटकी रहती है।
दुग्धउत्पादन (Milk Production)
हालांकि हरियाणा गायों का मुख्य उपयोग खींचने के काम के लिए होता है, लेकिन उन्हें दूध के लिए भी महत्व दिया जाता है। हरियाणा गाय प्रति ब्यात औसतन 1219 Kg (693 से 2300 Kg) तक दूध उत्पादन कर सकती है, जिससे यह दोहरे उपयोग (Dual Purpose Breed) की नस्ल बनती है। हरियाणा गाय के दुग्ध में 4.5 Fat % पायी जाती है।
- Milk Yield per Lactation – 1219 Kg (Min. – 693 – 1745 ) .
- Milk Fat Content – 4.5 Fat % .
मुख्य बिंदु (Key Points)
- भारत की सबसे अच्छी दोहरी उपयोगिता (Dual Purpose Breed) की नस्ल हरियाणा है।
- हरियाणा नस्ल के लिए गोगामेड़ी पशु मेला , नोहर हनुमानगढ़ , महाशिवरात्री पशु मेला , करौली , जसवंत प्रदर्शनी पशु मेला , भरतपुर का आयोजन किया जाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
हरियाणा गाय उत्तर भारत की एक महत्वपूर्ण नस्ल है, जो दूध उत्पादन और कृषि कार्य में दोहरी उपयोगिता के लिए जानी जाती है। स्थानीय पर्यावरण के प्रति उनकी अनुकूलता और पारंपरिक प्रबंधन के तरीकों के साथ, ये गायें ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न हिस्सा हैं। नस्ल की उत्पादकता को बनाए रखने और सुधारने के प्रयास इसके कृषि और डेयरी क्षेत्रों में निरंतर योगदान सुनिश्चित करेंगे।
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The Haryana cow is India’s best dual-purpose breed, playing a crucial role in both agriculture and milk production. Learn more about its significance.
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