Amrit Mahal Cow : अमृत महल गाय की पहचान और विशेषताएँ "

 The Amrit Mahal: Karnataka's Legendary Cattle Breed

अमृत महल गाय , जिसे कृषि कार्यों और बोझा ढोने (Draught Purpose Breed) के काम में लिया जाता  जाता है, जो भारत के कर्नाटक राज्य की एक स्वदेशी नस्ल है। भारत में वर्तमान में देशी गायों की कुल 53 पंजीकृत देशी नस्ल है। अमृत महल बैलों का ऐतिहासिक महत्व भारी सेना उपकरणों को तेजी से ले जाने की उनकी क्षमता में सम्मलित है, जिससे वे कम समय में लंबी दूरी तय कर सकते थे। हालांकि, गायें दूध उत्पादन में कमजोर होती हैं, लेकिन इस नस्ल का मुख्य विशेषता इसके बोझा ढोने की क्षमताओं और सहनशीलता है।

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अमृत महल गाय की उत्पति और वितरण (Origins and Distribution of AmritMahal Cow)

अमृत महल गाय की उत्त्पति कर्नाटक राज्य के मैसूर से हुई है। अमृत महल, जिसका अर्थ "दूध विभाग" है, जिसका विकास  मैसूर राज्य के शासकों द्वारा किया गया था । जिसका मुख्य उद्देश्य शाही महल को दूध और दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति करना था, साथ ही सेना के लिए मजबूत बैल उपलब्ध कराना था। इस नस्ल में प्रमुख : तीन प्रकार की नस्ल शामिल थी : हल्लीकर, हगलवाडी और चित्रदुर्ग, जिन्हें समय के साथ मिलाकर अमृत महल नस्ल बनाई गई। इसका उद्देश्य दक्षिण भारत की मसौदा नस्लों से दूध उत्पादन बढ़ाना था। यह नस्ल चिकमगलूर, चित्रदुर्ग, हसन, शिमोगा, तुमकुर और दावणगेरे जिलों में पाई जाती है।

अमृत महल गाय के उपनाम (Synonymous of Amrit Mahal Cow )

अमृत महल गाय, जिसे "डोडडाना," "जवारी डाना," और "नंबर डाना" के नाम से भी जाना जाता है, कर्नाटक की एक प्रसिद्ध गाय नस्ल है। "अमृत" का अर्थ दूध और "महल" का अर्थ घर है, जो इस नस्ल की महत्वपूर्णता को दर्शाता है। यह गाय अपनी बोझा ढोने की शक्ति और सहनशक्ति के लिए जानी जाती है। 

अमृत महल गाय के मुख्य उपयोग (Main Uses of Amrit Mahal Cattle)

अमृत महल गाय को भारवाहक / बोझा ढोने के लिए उपयोग की जाती है। भारत की सबसे अच्छी भारवाहक नस्ल  नस्ल अमृत महल  है। 

1. भारवाहक (Draught Purpose) : 
  • अमृत महल नस्ल मुख्य रूप से बैल उत्पादन के लिए पाली जाती है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि कार्य और बोझा ढोने (Farming and Transportation) के लिए उपयोगी होते हैं। भारवाहक नस्लों (Draught Purpose Breed) में दुग्ध उत्पादन (Milk Production) कम होता हैं। 

अमृत महल गाय की पहचान (Characteristics of Amrit Mahal Cow)

शरीर (Body)

  • शरीर मजबूत और मांसल होता है, जो नस्ल की ताकत और सहनशक्ति को दर्शाता है।

रंग (Colour)

  • अमृत महल गाय आमतौर पर भूरे रंग (Brown Colour) की होती है, जो लगभग सफेद से लेकर लगभग काले रंग तक हो सकती है। इनके चेहरे और गलकंबल पर विशिष्ट सफेद-ग्रे निशान होते हैं, और नाक, पैर और पूंछ का सिरा काला होता है। 

सिर (Head)

  • सिर अच्छी तरह से आकार का, लंबा और संकीर्ण होता है, जिसमें थोड़ी उभरी हुई माथा होती है। 

सींग (Horn)

  • सींग पास-पास निकलते हैं और ऊपर की ओर और पीछे की ओर मुड़ते हैं, जो अक्सर बूढ़े जानवरों में आपस में जुड़ जाते हैं। 
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दुग्ध उत्पादन (Milk Production)

अमृत महल गायें अपनी ताकत और सहनशक्ति के लिए जानी जाती हैं। अमृत महल गायों से दूध उत्पादन बहुत कम होता है, जो  प्रति ब्यात औसत दूध उत्पादन केवल 572 किलोग्राम होता है। 

  • Milk Yield Per Lactation :  572 Kg

मुख्य बिंदु (Key Points)

  • भारत की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली / भारवाहक नस्ल "अमृत महल" है। 
  • महाराष्ट्र की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली / भारवाहक नस्ल "खिलारी" है। 
  • राजस्थान की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली / भारवाहक नस्ल "नागोरी" है। 
  • भारत की सबसे अच्छी दोहरी उपयोगिता वाली नस्ल "हरियाणा" है। 

Discover the rich history and characteristics of the Amrit Mahal, Karnataka’s renowned cattle breed known for its strength and endurance in agricultural tasks.

भारत की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली नस्ल कौन सी है?
भारत की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली नस्ल अमृत महल है। यह नस्ल अपनी ताकत, सहनशीलता और भारी भार उठाने की क्षमता के लिए जानी जाती है।
महाराष्ट्र की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली नस्ल कौन सी है?
महाराष्ट्र में, सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली नस्ल खिलारी है। यह नस्ल अपनी गति, फुर्ती और कठिन कृषि कार्यों एवं परिवहन को संभालने की क्षमता के लिए अत्यधिक मूल्यवान है।
राजस्थान की सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली नस्ल कौन सी है?
राजस्थान में, नागोरी नस्ल को सबसे अच्छी बोझा ढोने वाली नस्ल माना जाता है। यह नस्ल अपनी मजबूती और उच्च सहनशक्ति के लिए जानी जाती है, जो खेतों की जुताई और अन्य भारी-भरकम कृषि कार्यों के लिए आदर्श है।
भारत की सबसे अच्छी दोहरी उपयोगिता वाली नस्ल कौन सी है?
हरियाणा गाय दो उद्देश्यों (Dual Purpose Breed) के लिए उपयोग की जाती है। भारत की सबसे अच्छी दोहरी उपयोगिता की नस्ल हरियाणा है। हरियाणा गाय, जिसे हांसी भी कहा जाता है, उत्तर भारत की एक प्रमुख दोहरी उद्देश्य वाली नस्ल है। हरियाणा गाय का नाम उत्तर भारत के हरियाणा क्षेत्र से लिया गया है। यह गायें न केवल अच्छा दूध देती हैं बल्कि उनके बैल भी कृषि कार्यों में अत्यंत उपयोगी होते हैं। यह नस्ल अपने मजबूत स्वास्थ्य और सहनशक्ति के लिए जानी जाती है, जो इसे भारतीय कृषि के लिए उपयुक्त बनाती है।
हरियाणा नस्ल की गाय कितना दूध देती है?
हरियाणा नस्ल की गायें अपने दूध उत्पादन के लिए जानी जाती हैं। औसतन, एक हरियाणा गाय एक दुग्धावधि (लैक्टेशन) में लगभग 997 किलोग्राम दूध देती है। हालांकि, दूध उत्पादन की मात्रा गाय के स्वास्थ्य, आहार और प्रबंधन पर निर्भर करती है। न्यूनतम दूध उत्पादन 693 किलोग्राम से लेकर अधिकतम 1745 किलोग्राम तक हो सकता है। दूध में वसा की मात्रा भी अच्छी होती है, जो लगभग 4.5% होती है।