“ऊंट: राजस्थान के संस्कृति और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा”
Introduction (परिचय) :
ऊंट एक चार पैरों वाला स्तनधारी प्राणी है। ऊँट की मुख्य दो प्रजातियाँ हैं: अरबी ऊंट और बैक्ट्रियन ऊंट।
अरबी ऊंट में एक कूबड़ होता है, जबकि बैक्ट्रियन ऊंट में दो कूबड़ होते हैं। अरबी ऊंट पश्चिमी एशिया के सूखे रेगिस्तान क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जबकि बैक्ट्रियन ऊंट मध्य और पूर्व एशिया के मूल निवासी हैं। इसे “रेगिस्तान का जहाज” भी कहा जाता है। ऊंट कई दिनों तक बिना पानी पीने की क्षमता रखता है। मानव द्वारा ऊंट को सवारी, बोझा ढोने, पालतू पशु, और मांस के उत्पादन के लिए काम में लाया जाता है।
Specific Characters (विशेषताएँ) :
- ऊंट का जीवनकाल सामान्यत: 40-50 वर्ष होता है।
- इसकी पीठ पर वसा युक्त कुबड़ लिपटी होती है, जो उन्हें पानी की कमी के समय जीवित रहने में सहायक होती है।
- ऊंट लगभग 21 दिन तक पानी के बिना जीवित रह सकते हैं, जिसके कारण वे रेगिस्तानी क्षेत्रो में अच्छी तरह से समायोजित होते हैं।
- ऊंट की लाल रक्तकणिकाएँ सामान्यत: अंडाकार होती हैं, जो उनके निर्जलीकरण के दौरान प्रवाह को आसान बनाती हैं।
- ऊंट के आमाशय के तीन भाग होते है – (1) Ruman (2) Reticulmn (3) Abomasum .
- ऊँट में Omasum भाग अनुपस्थित होता है इसी कारण ऊँट एक आभासी रुमंथी (Pseudo Ruminant) जानवर है।
- नर ऊंट के मुँह में एक डुल्ला होता है, जो सम्भोग के समय मादा को आकर्षित करने के लिए बाहर निकलता है। सामन्यत यह प्रजनन काल में नवम्बर से मार्च तक निकलता है।
Scientific Classification (वैज्ञानिक वर्गीकरण):
- Kingdom (जगत): Animalia (जंतु)
- Phylum (संघ) : Chordata (कौरडेटा)
- Class (वर्ग) : Mammalia (मेमेलिया )
- Order (गण) : Artiodactyla ( आर्टियोडैकटिला )
- Family (कुल) : Camelidae (कैमलिडाए)
- Tribe (वंश समूह): Camelini (कैमलिनाए)
- Genus (वंश) : Camelus (कैमेलस)
- Species (जाति / स्पीशीज) :
(2) दो कूबड़ वाला ऊंट – Camelus Bactrians (बेक्टेरियन / एशियन केमल) .
National Research Center On Camel (NRCC) (ऊंट अनुसंधान केंद्) :
ऊंट एक आभासी रुमंथी प्राणी है, जिसका जीवन अनुकूल रेगिस्तानी परिवेश में होता है। इसकी विशेषताएँ और विविधताएँ इसे विशेष बनाती हैं, जो इसे व्यापक रूप से उपयोगी बनाती हैं, सहित मानव जीवन में भी।
1. ऊंटो की नस्लें – जैसलमेरी , बीकानेरी , मालवी , कच्छी , मेवाती , अफगानी , बागड़ी , सिंधी, खराइ, आदि।
2. क्षेत्र के अनुसार : रेगिस्तानी ऊंट , पहाड़ी ऊंट , नदीय ऊंट।
- जैसलमेरी ऊंट को Racing Camel भी कहते है। जैसलमेरी ऊँट का उपयोग भारतीय सेना (BSF) के द्वारा रेगिस्तानी इलाकों में सीमा सुरक्षा के लिए भी किया जाता है।
- जैसलमेरी ऊँट अपने शानदार ” नाचने (Dance) ” की वजह से दुनिया में प्रसिद्ध है।
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Anatomical Characteristics (शारीरिक स्वरूप):
- ऊँट एक आभासी रुमंथी (Pseudo Ruminant ) जानवर है। क्योकि ऊंट जुगाली तो करता है लेकिन आमाशय के चार भागो में से एक भाग Omasum अनुपस्थित होता है।
- ऊँट में यौवनावस्था (Puberty) 3 – 4 वर्ष में आती है।
- मादा ऊंट के दूध में विटामिन C की अधिक मात्रा होती है, जो रोग प्रतिरोधक होता है।
- राजस्थान में ऊँट को सर्वप्रथम पालने वाली जाति ” राईका और रबारी ” है।
-
ऊंट का सामान्य रोग ” सर्रा रोग / तिबरसा (Trypanosomiosis) ” होता है। सर्रा रोग के बचाव के लिए मुख्यत Ivermectine Hitek Injection का उपयोग किया जाता है।
- ऊंट में प्रजनन काल (Breeding Season) नवंबर से मार्च तक होता है।
- भारत में मुख्यत एक कूबड़ वाले ऊंट पाए जाते है और दो कूबड़ वाले ऊंट लद्दाख क्षेत्र में पाए जाते है।
- ऊंट को प्रतिदिन 18 – 36 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
- ऊंट सामन्यत 30 – 40 वर्ष जीवित रहता है।
- ऊंटनी का गर्भकाल (गर्भावधि) 390 दिन का होता है।
- वयस्क नर को Maiya / Oont कहते है। और वयस्क मादा को Sand कहते है।
- जवान नर को Tordia कहते है। और जवान मादा को Tordi कहते है।
- ऊँटो के समूह को Tola (टोला) कहते है।
- ऊंट में कुल 74 (37 जोड़ी) गुणसूत्र पाए जाते है।
- ऊंट व् घोड़े में पित्ताशय (Gallbladder) अनुपस्थित होता है।
- ऊँट में एक अतरिक्त हड्डी पायी जाती है जिसे OS – Phrenic कहते है। जो ऊँट के डायफ्राम में पायी जाती है।
राजस्थान में ऊंटो का महत्व:
- ऊंट राजस्थान की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- ये परिवहन, खेतों की खाद्य, गाड़ियों को खींचने और भार लेने के काम में उपयोग किए जाते हैं।
- 2012 में राजस्थान में ऊंटों की जनसंख्या का अनुमान 0.32 मिलियन था।
- राजस्थान में पाए जाने वाले ऊंटों के मुख्य प्रजातियों में बीकानेरी, जैसलमेरी और मेवाड़ी शामिल हैं।
Conclusion (निष्कर्ष):
ऊंट राजस्थान के संस्कृति और अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है, जो कठिन रेगिस्तानी परिवेशों में लगने वाले इन पशुओं के महत्व को समझना महत्वपूर्ण है। रेगिस्तानों में सहारा और आवास के लिए ऊंटों की महत्वपूर्ण विशेषताओं को समझने से पर्यावरणीय उन्नति और संरक्षण के प्रयासों में सहायक होता है।
“Camel Information: Comprehensive details about Indian camels.” – “Camel Characteristics: Special traits of camels in Indian deserts.” – “Details about camels.”
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