"भदावरी भैंस (Bhadawari Buffalo): जानिए भारतीय उत्तर प्रदेश की उन्नत नस्ल भैंस के बारे में"

 भदावरी भैंस : उत्तरप्रदेश की उत्कृष्ट नस्ल (Bhadawari Buffalo) 

भदावरी भैंस (Bhadawari Buffalo Breed) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य की एक उन्नत नस्ल की भैंस है , जिसे मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश के आगरा और इटावा जिलों में देखा जाता है। भदावरी भैंस एक जलीय / नदीय भैंस है जो अपने दुग्ध उत्पादन (Milk Production) और वसा उत्पादन (Fat Production) के लिए प्रसिद्ध है। भारत की सबसे अधिक दूध देनी वाले भैंस की नस्ल " मुर्रा " है। लेकिन दूध में सबसे ज्यादा फैट भदावरी नस्ल की भैंस में पायी जाती है। भारत में वर्तमान में 220 जानवरों और पोल्ट्री की कुल देशी नस्लें हैं। पहले, कुल 212 नस्लें पंजीकृत थीं। दिसम्बर 2023 में, 8 नई नस्लों को पंजीकृत किया गया है, जिससे कुल पंजीकृत नस्लों की संख्या 212 से बढ़कर 220 हो गई है। भारत में वर्तमान में भैंसों की कुल पंजीकृत नस्ल 20 है। 

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भदावरी भैंस का मूल स्थान और वितरण :

भदावरी भैंस (Bhadawari Buffalo) का जन्म स्थान उत्तरप्रदेश के इटावा और आगरा में माना जाता है। भदावरी भैंस U.P Group की है। भदावरी नस्ल (Bhadawari Buffalo Breed) की भेंसो को मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना जिलों में दूध उत्पादन (Milk Production) के लिए पाला जाता है।भदावरी भैंसें उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के किसानों के लिए आय का महत्वपूर्ण संसाधन हैं।भदावरी नस्ल उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब , हरियाणा और राजस्थान आदि राज्यों में देखने को मिलती है। 

भदावरी भैंस की पहचान (Identification of Bhadwari Buffalo) : 

रंग (Colour) :
  • भदावरी भैंस के शरीर का रंग मुख्यत ताँबे जैसा होता है। जो इसकी मुख्य पहचान है।  
सींग (Horn) :
  • भदावरी भैंस के सींग ऊपर की और मुड़े हुए होते है। इनके शरीर का आकार मध्यम और फनाकार (Wedge Shape) होता है। 
सिर (Head) :
  • भदावरी भैंस का सिर उभरा हुआ और छोटा होता है। 
गर्दन :
  • भदावरी भैंस की गर्दन के निचले हिस्से में दो रेखाएँ होती है जिसे कंठी (Chevron) कहा जाता है।   
पूँछ (Tail) : 
  • पूँछ लंबी होती है और हॉक जोड़ (Hock Joint) के नीचे फेटलॉक जॉइंट (Fetlock Joint) तक लटकी रहती है और पूँछ पर सफ़ेद धब्बे (White Switch) होते है। 
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Image Source - Amar Ujala

भदावरी भैंस की विशेषता और उपयोग : 

भदावरी भैंसें दुग्धकाल 272 दिन का होता हैं और भदावरी भैंस एक दुग्धकाल में औसतन दूध 1000 - 1200 लीटर दुग्ध का उत्पादन करती है। इस नस्ल की खास विशेषता यह है की इसके दूध में सबसे ज्यादा फैट की मात्रा पायी है। भदावरी नस्ल के नर भैंसो (Bhadawari Bull Buffalo) का उपयोग भारवाहक और मांस उत्पादन के लिए किया जाता है। 

भदावरी भैंस का प्रबंधन (Management of Bhadwari Buffalo) :

  • भदावरी भैंस का प्रबंधन मुर्रा भैंस की तरह ही होता है। 
1.  आवास:
  • भदावरी भैंस को आवास में खुले में बांधा जाता है, जिसमें उन्हें राहत मिलती है और वे स्वतंत्रता से घुम सकती हैं।
2. आहार:

  • इन्हें बरसीम, जई, सरसों, बाजरा, ज्वार और क्लस्टर-बीन जैसे पोषण युक्त खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, जिससे उनका उत्कृष्ट दूध उत्पादन होता है।
3. प्रबंधन:
  • भदावरी भैंस का प्रबंधन और आहार चयन वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है। इसके साथ ही समय-समय पर आवास में कीटनाशक दवा छिड़की जाती है ताकि आवास में बीमारियों का प्रसार न हो।

दुग्धउत्पादन (Milk Production)

भदावरी नस्ल (Bhadwari Breed) की भैंस एक ब्यात में औसतन 1000 - 1200 लीटर दुग्ध उत्पादन (Milk Production) करती है। भदावरी भैंस के दूध में सबसे ज्यादा 14 % फैट होती है। भदावरी भैंस को मुख्यत : वसा उत्पादन (Fat Production) के लिए पाला जाता है। दुग्ध उत्पादन के मामले में भदावरी भैंस की तुलना में मुर्रा और नीली रावी भैंस को पाला जाता है। क्योकि सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन मुर्रा नस्ल की भैंस करती है। 
  • Milk Production1000 - 1200 Kg Milk Per Lactation Period .
  • Fat Production :- 14 % (Highest Fat Milk Buffalo Breed)
  • Bhadawari Buffalo Milk Per Day :-  5 - 7 ltr. Milk Per Day 
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भदावरी भैंस (Bhadawari Buffalo Breed)

भदावरी भैंस (Bhadawari Buffalo Breed)

विषय विवरण
मूल स्थान और वितरण भदावरी भैंस (Bhadawari Buffalo) का जन्म स्थान उत्तरप्रदेश के इटावा और आगरा में माना जाता है। भदावरी भैंस U.P Group की है। भदावरी नस्ल (Bhadawari Buffalo Breed) की भेंसो को मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना जिलों में दूध उत्पादन (Milk Production) के लिए पाला जाता है।भदावरी नस्ल उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब , हरियाणा और राजस्थान आदि राज्यों में देखने को मिलती है।
पहचान (Identification) भदावरी भैंस के शरीर का रंग मुख्यत ताँबे जैसा होता है जो इसकी मुख्य पहचान है। इसके सींग ऊपर की और मुड़े हुए होते हैं, शरीर का आकार मध्यम और फनाकार (Wedge Shape) होता है, सिर उभरा हुआ और छोटा होता है, गर्दन के निचले हिस्से में दो रेखाएँ होती हैं जिसे कंठी (Chevron) कहा जाता है।
विशेषता और उपयोग (Features and Uses) भदावरी भैंस को मुख्यत : वसा उत्पादन (Fat Production) के लिए पाला जाता है।
दूध उत्पादन (Milk Production) भदावरी नस्ल (Bhadawari Breed) की भैंस एक ब्यात में औसतन 1000 - 1200 लीटर दुग्ध उत्पादन (Milk Production) करती है। भदावरी भैंस के दूध में सबसे ज्यादा 14 % फैट होती है।
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भारत में पशुधन की आबादी 20वीं पशुधन गणना के अनुसार : 

1. कुल पशुधन आबादी:
  • 2019 में देश में कुल पशुधन आबादी 535.78 मिलियन है, जो 2012 की गणना की तुलना में 4.6% अधिक है।
2. कुल गायों की संख्या:
  • 2019 में कुल गायों की संख्या 192.49 मिलियन है, जो पिछली गणना की तुलना में 0.8% ज्यादा है। देशी गायो में सबसे लम्बा दुग्धकाल " गिर गाय (Gir Cattle) " का होता है। 
  • भारत में कई प्रकार की देशी गायों की नस्लें हैं, जिनमें  गीर (Gir Cattle) , साहीवाल (Sahiwal Cattle) , रेड सिंधी (Red Sindhi) और थारपारकर (Tharparkar Cattle) प्रमुख दुधारू नस्लें है।

3. कुल भैंसों की संख्या:
  • 2019 में भारत में कुल भैंसों की संख्या 109.85 मिलियन है, जो पिछली गणना की तुलना में लगभग 1.0% अधिक है।
भारत में भैंसों की आबादी विश्व की सबसे बड़ी है। भारत में भैंसों की उपयोगिता दूध और मांस के लिए व्यापक रूप से है। भारत में कई प्रकार की भैंसों की नस्लें हैं, जिनमें  मुर्रा (Murrah Buffalo) , नीली रावी (Nili Ravi Buffalo) प्रमुख दुधारू नस्लें है। इस नस्ल की विशेषता और उपयोगिता के कारण, यह देश के विभिन्न हिस्सों में पायी जाती है।

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          मुर्रा भैंस की कीमत कितनी है?
          मुर्रा भैंस की कीमत शुद्ध नस्ल की मुर्रा भैंस के लिए औसतन 1,00,000 रुपये से 3,00,000 रुपये तक हो सकती है। सामान्य नस्ल (Mixed Breed) की मुर्रा भैंस की कीमत औसतन 50,000 रुपये से 1,50,000 रुपये तक हो सकती है।
          मुर्रा भैंस की पहचान कैसे होती है?
          मुर्रा भैंस की पहचान के लिए इसके रंग, सींग, सिर, कान, गर्दन, थन, पूंछ आदि के विशेषताओं का ध्यान रखा जाता है। इसका रंग काला स्याही होता है, सींग जलेबीनुमा होते हैं, सिर हल्का और छोटा होता है, कान छोटे और पतले होते हैं, गर्दन मादा में लंबी और पतली होती है तथा पूंछ लंबी होती है और हॉक जोड़ के नीचे लटकी रहती है।
          कौन सी भैंस सबसे ज्यादा दूध देती है?
          सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की नस्ल मुर्रा है। इस नस्ल की भैंस एक ब्यात में औसतन 1680 - 2000 किलोग्राम दूध प्रतिवर्ष प्रक्षेपित करती हैं, जिसमें 7% तक फैट (Fat) होता है।
          भदावरी भैंस की क्या पहचान है?
          भदावरी भैंस की पहचान उनके शरीर की खासियतों से होती है। इनके शरीर का रंग मुख्यत: ताँबे जैसा होता है, जो इसकी मुख्य पहचान है। इसके सींग ऊपर की और मुड़े हुए होते हैं, शरीर का आकार मध्यम और फनाकार (Wedge Shape) होता है, सिर उभरा हुआ और छोटा होता है, गर्दन के निचले हिस्से में दो रेखाएँ होती हैं जिसे कंठी (Chevron) कहा जाता है, और पूँछ लंबी होती है और हॉक जोड़ (Hock Joint) के नीचे फेटलॉक जॉइंट (Fetlock Joint) तक लटकी रहती है और पूँछ पर सफ़ेद धब्बे (White Switch) होते हैं।
          भदावरी भैंस कितना दूध देती है?
          भदावरी भैंस एक ब्यात में औसतन 1000 - 1200 लीटर दुग्ध उत्पादन (Milk Production) करती है। इस नस्ल की खास विशेषता यह है की इसके दूध में सबसे ज्यादा 14 % फैट होती है। भदावरी भैंस को मुख्यत : वसा उत्पादन (Fat Production) के लिए पाला जाता है। दुग्ध उत्पादन के मामले में भदावरी भैंस की तुलना में मुर्रा और नीली रावी भैंस को पाला जाता है। क्योकि सबसे अधिक दुग्ध उत्पादन मुर्रा नस्ल की भैंस करती है।