“Mastitis in Cattle: Causes, Symptoms, and Effective Management”

  Understanding Mastitis in Cows: Treatment and Management

Introduction to Mastitis in Cows : 

Mastitis , जिसे हिंदी में थनेल्ला रोग के रूप में जाना जाता है, जो एक SubAcute रोग है जो मुख्यतः बैक्टीरिया द्वारा होता है। गाय, भैंस और बकरियों को सामान्यतः थनेल्ला से प्रभावित होता है, जो डेयरी उद्योग में सबसे आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले रोगों में से एक है। यह बीमारी थनों में दर्दनाक सूजन और दूध दही जैसा फटा हुआ बदबूदार और रंग में परिवर्तन के रूप में प्रकट होती है।

Prevalence and Economic Impact

मास्टिटिस न केवल गोवंशों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि यह एक डेयरी उद्योग की महत्वपूर्ण बीमारी है जो दूध उत्पादन, किसानों की आय, और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डालती है। सबक्लिनिकल मास्टिटिस (SCM), भारतीय डेयरी उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है जिससे अनुमानित वार्षिक नुकसान लगभग 2.37 हजार करोड़ रुपये होते हैं। सबक्लिनिकल मास्टिटिस (एससीएम): इसकी घटना भारत में अधिक है और इसके कारण उद्योग को अनुमानित वार्षिक नुकसान का 70% हिस्सा होता है। उच्च उपज देने वाली संकर नस्ल ((INR 1, 314.10)) में प्रति स्तनपान देशी गाय (INR 868.34) और भैंस (INR 1, 272.36) की तुलना में आर्थिक नुकसान अधिक होता है। Read More 

Types of Mastitis : chphylo

1. Becterial Mastitis : 
  • जीवाणु द्वारा होने वाला थनैला रोग जिसे ” बेक्टेरियल मैस्टाइटिस (Bacterial Mastitis) ” कहते है।
2. Fungal Mastitis :  

  • फंगस द्वारा होने वाला थनैला रोग जिसे ” फंगल मैस्टाइटिस (Fungal Mastitis) ” कहते है।
mastitis treatment in cows,mastitis in cattle,mastitis in cows,mastitis in animals,mastitis in cattle,mastitis in hindi,mastitis tubes for cows,intramammary infusion for mastitis,mastitis in cattle

Etiology of Mastitis

A. Becterial Causes:
  • थनेल्ला रोग मुख्यत जीवाणुओ के संक्रमण से होता है। मैस्टाइटिस रोग मुख्यत गाय , भैंस , बकरियों (दुधारू पशुओं) में पाया जाता है। 
  • मैस्टाइटिस रोग का विशेष रूप से स्ट्रेप्टोकॉकस बैक्टीरिया एक महत्वपूर्ण कारक है।
  • गायों में ज्यादतर  Staphylococcus aurus Becteria द्वारा होता है । 
  • थनेल्ला के अन्य बैक्टीरिया में Pasteurella multocida , Streptococcus zooepidemicus , Streptococcus agalactiae , Streptococcus pyogenes , Mycobacterium bovis , Klebsiella spp. , Brucella abortus , Escherichia coli (E. coli) , Leptospira Pomona आदि शामिल हैं।
B. Fungal Causes :
  • फंगल मैस्टाइटिस Aspergillus fumigatus; A.midulus; Candida spp; Trichosporon spp, आदि फंगस के कारण होता है।

Symptoms Of Mastitis : 

  • लक्षणों के आधार पर मैस्टाइटिस रोग के तीन प्रकार होते है जिनमे अलग – अलग लक्षण दिखाई देते है। 
A. Acute / Clinical Mastitis : 

  • थनों (गादी) में गंभीर सूजन और पीड़ादायक दर्द।
  • थनों को छूने पर पीड़ादायक दर्द होता ।
  • जानवरों में हल्का बुखार।
  • पशु में दूध आना बंद हो जाता परन्तु दूध जैसा गाढ़ा स्राव आने लगता है जो पीला व् हल्का लाल होता है। 
  • दूध खिलने में कटी हुई दही की तरह दिखाई देता है, पीले-भूरे रंग के साथ, मृत कोशिकाओं के उपस्थिति के साथ।

B. Sub Acute / Sub-Clinical Mastitis (SCM) : 

  • थनों में सूजन होती है, लेकिन दर्द सहनीय होता है।
  • दूध में पीले, भूरे, या हल्के लाल रंग के साथ कटी हुई दही की तरह दिखाई देता है।
mastitis treatment in cows,mastitis in cattle,mastitis in cows,mastitis in animals,mastitis in cattle,mastitis in hindi,mastitis tubes for cows,intramammary infusion for mastitis,mastitis in cattle
  • बहुत से किसान सोचते हैं कि यदि उनकी गाय संक्रमित है तो उसका प्रस्तुत दूध स्वास्थ्यग्राहकों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए वे गाय के स्वास्थ्य सम्बन्धी लक्षणों को छिपा देते हैं। इसका परिणाम है कि SCM  का प्रसार बढ़ जाता है।
  • भारत में Sub-Clinical Mastitis (SCM) के कारण डेयरी उद्योगों में अनुमानित वार्षिक नुकसान लगभग  2.37 हजार करोड़ रुपये का होता है। 

C. Chronic Mastitis :  
  • थन (Teat) के Quarter में फाइब्रोसिस के साथ थन को दबाने पर पीड़ादायक दर्द होता हैं। 
  • दूध में सफेद-पीला रंग दिखाई देता है, जिसमें थक्के हो सकते हैं, और एक बदबू के साथ।
  • इस  अवस्था में जानवरों में टीबी (तपेदिक) होने की संभावना को बढ़ाती है।

Diagnosis Of Mastitis : 

  • By Symptoms 
  • California Mastitis Test : 
california mastitis test,cow mastitis test,cmt test,mastitis test,cmt testing
  • Chloride Test
  • Catalase Test
  • Bromo Cresol Purple Test
  • Bromothymol Blue Test
  • Strip Cup Test : 
Strip Cup Test For Mastitis, mastitis treatment in cows,mastitis in cattle,mastitis in cows,mastitis in animals,mastitis in cattle,mastitis in hindi,mastitis tubes for cows,intramammary infusion for mastitis,mastitis in cattle

Treatment Approaches for Mastitis in Cattle : 

A. Antibiotic Therapy – 
  • थनैला रोग के फैलाव को रोकने के लिए संक्रमित जानवरों को अलग रखें।
  • सभी थनों को धोकर साफ करें और स्वच्छ करें, ताकि थन की अंदरूनी सफाई हो सके और अंदर जमे मृत कोशका व् दूध युक्त पीला स्राव बाहर आ सके ।
  • प्रभावी एंटीबायोटिक्स का चयन करने के लिए एंटीबायोटिक संवेदनशीलता परीक्षण (Antibiotic Sensitivity Test ) करें।
  • Antibiotic Sensitivity Test कराने के बाद थनों में उसी Antibiotics की Tube को डाले।
  • पशु के थनों में Antibiotics Teats Tube या Intramammary Infusions डालें ताकि इन्फेक्शन (Infection) को जल्दी ख़त्म किया जा सके। (दिन में एक बार / दिन में दो बार )
B. Types of Intramammary Infusions : 
  • गायों में थनेल्ला रोग के इलाज और रोकथाम के लिए इंट्रामैमरी इंफ्यूजन आमतौर पर प्रयोग किया जाता है। ये इंफ्यूजन एंटीबायोटिक्स, एंटी-इन्फ्लेमेटरी एजेंट्स, या अन्य दवाओं को सीधे गाय के थन में पहुंचाते हैं ताकि बैक्टीरियल संक्रमण का सामना किया जा सके और सूजन को कम किया जा सके। 
1. Antibiotic Intramammary Infusions:

  • इन इंफ्यूजन में पेनिसिलिन, एम्पिसिलिन, सेफटायोफर, या सेफेक्सिलिन जैसे एंटीबायोटिक्स होते हैं।
  • एंटीबायोटिक इंफ्यूजन गाय के थन में बैक्टीरियल थनेल्ला का इलाज करने में प्रभावी होते हैं, बैक्टीरिया को मारकर या उनकी वृद्धि को निरोधित करके।

2. Anti-inflammatory Intramammary Infusions: 

  • इन इंफ्यूजन में कोर्टिकोस्टेरॉयड्स (Corticosteroids) या फ्लूनिक्सिन मेग्लुमाइन (Flunixin Meglumine) जैसे Anti Inflammotory Drugs  होते है जो सूजन को कम करते है।  
  • एंटी-इन्फ्लेमेटरी इंफ्यूजन सूजन को कम करते हैं और थनेल्ला रोग के साथ जुड़े दर्द को आराम प्रदान करते हैं।

3. Combination Intramammary Infusions: 
  • कुछ Intramammary Infusions एंटीबायोटिक्स को एंटी-इन्फ्लेमेटरी एजेंट्स (Anti Inflammotory Drugs) के साथ मिलाकर प्रदान करते हैं ताकि दोनों एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव उपलब्ध हो सके।
4. Teat Sealant Intramammary Infusions:
  • टीट सीलेंट्स को इंट्रामैमरी इंफ्यूजन के रूप में उदाहरण के लिए प्रयोग किया जाता है ताकि थन में नई संक्रमण की रोकथाम की जा सके। 
  • Teat Sealant Intramammary Infusions का उपयोग मुख्यत पशु के शुष्ककाल (पशु के प्रसव से 3 महीने पहले दूध निकलना बंद किया जाता है।उस समय को शुष्ककाल कहते है। ) के दौरान किया जाता है।  
5. Herbal or Alternative Therapy Intramammary Infusions:
  • Herbal Intramammary Infusions में प्राकृतिक जड़ी – बूटियों को शामिल किया जाता हैं जिनमें एंटीमाइक्रोबियल या एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, हालांकि उनकी प्रभावकारिता भिन्न हो सकती है और अधिक अनुसंधान की आवश्यकता होती है।
  • Herbal Intramammary Infusions का उपयोग मुख्यत गाँवों में किया जाता है। 

Best Practices for Mastitis Management & Control in Cattle

  • डेयरी फार्म पर सख्त स्वच्छता बनाए रखें, सभी क्षेत्रों को नियमित रूप से डिसइंफेक्ट करें।
  • स्वस्थ जानवरों से संक्रमित जानवरों को अलग रखें।
  • संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए “पूर्ण दूध दोहन” दूध निकालने की तकनीक का पालन करें।
  • थनेल्ला के लक्षणों के आरंभ में ही उपचार शुरू करें।

“Treatments and Management of Mastitis in Cattle: Explore intramammary infusion and other methods for effective mastitis treatment in cows. Learn about mastitis in animals, its symptoms, and remedies, including mastitis tubes.”

Follow Us on Social Media

Stay connected with The Rajasthan Express by following us on our social media platforms:

गायों में थनेल्ला रोग क्या है?
Mastitis Disease, हिंदी में “थनेल्ला रोग” के रूप में जाना जाता है, एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो मुख्यतः बैक्टीरिया द्वारा होता है। जो गाय, भैंस, और बकरियों के थनों को प्रभावित करती है।

थनेल्ला रोग के कितने प्रकार होते हैं?

प्राथमिक रूप से दो प्रकार के थनेल्ला रोग होते हैं:

1. बैक्टीरियल थनेल्ला रोग (Becterial Mastitis): जीवाणुओं के कारण होता है।

2. कवकीय थनेल्ला रोग (Fangal Mastitis) : कवकों के कारण होता है। 

गायों में थनेल्ला रोग के क्या लक्षण होते हैं?

थनेल्ला रोग के तीन प्रकार होते हैं:

1.  Acute / Clinical Mastitis : सूजन और दर्द, बुखार और दूध की दिखाई बदलती रंगत।

2. Sub Acute / Sub-Clinical Mastitis (SCM) :  सूजन, कम दर्द, विशेष रंग का दूध।

3. Chronic Mastitis :   थन में फाइब्रोसिस, साथ ही दर्द और रंग का बदलाव।

थनेल्ला रोग की निदान कैसे होता है?
थनेल्ला रोग का निदान लक्षणों और विभिन्न परीक्षणों जैसे कैलिफोर्निया मास्टाइटिस टेस्ट, क्लोराइड टेस्ट, कैटालेस टेस्ट आदि से किया जा सकता है।

गायों में थनेल्ला रोग के उपचार कैसे किए जाते हैं?

उपचार अक्सर एंटीबायोटिक चिकित्सा और थनेल्ला रोग में अन्य विधियों से होता है। एंटीबायोटिक अनुसंधान के आधार पर चुने जाते हैं, और थनेल्ला रोग में अन्य विधियों में एंटीबायोटिक (Antibiotics), Anti Inflammotory, या मिश्रण चिकित्सा शामिल हो सकते हैं।

Brucellosis की Drug Of Choice क्या है ?

Drug Of Choice for Brucellosis : Streptomycin Antibiotic .