Understanding Mastitis in Cows: Treatment and Management
Introduction to Mastitis in Cows :
Prevalence and Economic Impact
Types of Mastitis : chphylo
- जीवाणु द्वारा होने वाला थनैला रोग जिसे ” बेक्टेरियल मैस्टाइटिस (Bacterial Mastitis) ” कहते है।
- फंगस द्वारा होने वाला थनैला रोग जिसे ” फंगल मैस्टाइटिस (Fungal Mastitis) ” कहते है।
Etiology of Mastitis
- थनेल्ला रोग मुख्यत जीवाणुओ के संक्रमण से होता है। मैस्टाइटिस रोग मुख्यत गाय , भैंस , बकरियों (दुधारू पशुओं) में पाया जाता है।
- मैस्टाइटिस रोग का विशेष रूप से स्ट्रेप्टोकॉकस बैक्टीरिया एक महत्वपूर्ण कारक है।
- गायों में ज्यादतर Staphylococcus aurus Becteria द्वारा होता है ।
- थनेल्ला के अन्य बैक्टीरिया में Pasteurella multocida , Streptococcus zooepidemicus , Streptococcus agalactiae , Streptococcus pyogenes , Mycobacterium bovis , Klebsiella spp. , Brucella abortus , Escherichia coli (E. coli) , Leptospira Pomona आदि शामिल हैं।
- फंगल मैस्टाइटिस Aspergillus fumigatus; A.midulus; Candida spp; Trichosporon spp, आदि फंगस के कारण होता है।
Symptoms Of Mastitis :
- लक्षणों के आधार पर मैस्टाइटिस रोग के तीन प्रकार होते है जिनमे अलग – अलग लक्षण दिखाई देते है।
- थनों (गादी) में गंभीर सूजन और पीड़ादायक दर्द।
- थनों को छूने पर पीड़ादायक दर्द होता ।
- जानवरों में हल्का बुखार।
- पशु में दूध आना बंद हो जाता परन्तु दूध जैसा गाढ़ा स्राव आने लगता है जो पीला व् हल्का लाल होता है।
- दूध खिलने में कटी हुई दही की तरह दिखाई देता है, पीले-भूरे रंग के साथ, मृत कोशिकाओं के उपस्थिति के साथ।
- थनों में सूजन होती है, लेकिन दर्द सहनीय होता है।
- दूध में पीले, भूरे, या हल्के लाल रंग के साथ कटी हुई दही की तरह दिखाई देता है।
- बहुत से किसान सोचते हैं कि यदि उनकी गाय संक्रमित है तो उसका प्रस्तुत दूध स्वास्थ्यग्राहकों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए वे गाय के स्वास्थ्य सम्बन्धी लक्षणों को छिपा देते हैं। इसका परिणाम है कि SCM का प्रसार बढ़ जाता है।
- भारत में Sub-Clinical Mastitis (SCM) के कारण डेयरी उद्योगों में अनुमानित वार्षिक नुकसान लगभग 2.37 हजार करोड़ रुपये का होता है।
- थन (Teat) के Quarter में फाइब्रोसिस के साथ थन को दबाने पर पीड़ादायक दर्द होता हैं।
- दूध में सफेद-पीला रंग दिखाई देता है, जिसमें थक्के हो सकते हैं, और एक बदबू के साथ।
- इस अवस्था में जानवरों में टीबी (तपेदिक) होने की संभावना को बढ़ाती है।
Treatment Approaches for Mastitis in Cattle :
- थनैला रोग के फैलाव को रोकने के लिए संक्रमित जानवरों को अलग रखें।
- सभी थनों को धोकर साफ करें और स्वच्छ करें, ताकि थन की अंदरूनी सफाई हो सके और अंदर जमे मृत कोशका व् दूध युक्त पीला स्राव बाहर आ सके ।
- प्रभावी एंटीबायोटिक्स का चयन करने के लिए एंटीबायोटिक संवेदनशीलता परीक्षण (Antibiotic Sensitivity Test ) करें।
- Antibiotic Sensitivity Test कराने के बाद थनों में उसी Antibiotics की Tube को डाले।
- पशु के थनों में Antibiotics Teats Tube या Intramammary Infusions डालें ताकि इन्फेक्शन (Infection) को जल्दी ख़त्म किया जा सके। (दिन में एक बार / दिन में दो बार )
- गायों में थनेल्ला रोग के इलाज और रोकथाम के लिए इंट्रामैमरी इंफ्यूजन आमतौर पर प्रयोग किया जाता है। ये इंफ्यूजन एंटीबायोटिक्स, एंटी-इन्फ्लेमेटरी एजेंट्स, या अन्य दवाओं को सीधे गाय के थन में पहुंचाते हैं ताकि बैक्टीरियल संक्रमण का सामना किया जा सके और सूजन को कम किया जा सके।
- इन इंफ्यूजन में पेनिसिलिन, एम्पिसिलिन, सेफटायोफर, या सेफेक्सिलिन जैसे एंटीबायोटिक्स होते हैं।
- एंटीबायोटिक इंफ्यूजन गाय के थन में बैक्टीरियल थनेल्ला का इलाज करने में प्रभावी होते हैं, बैक्टीरिया को मारकर या उनकी वृद्धि को निरोधित करके।
- इन इंफ्यूजन में कोर्टिकोस्टेरॉयड्स (Corticosteroids) या फ्लूनिक्सिन मेग्लुमाइन (Flunixin Meglumine) जैसे Anti Inflammotory Drugs होते है जो सूजन को कम करते है।
- एंटी-इन्फ्लेमेटरी इंफ्यूजन सूजन को कम करते हैं और थनेल्ला रोग के साथ जुड़े दर्द को आराम प्रदान करते हैं।
- कुछ Intramammary Infusions एंटीबायोटिक्स को एंटी-इन्फ्लेमेटरी एजेंट्स (Anti Inflammotory Drugs) के साथ मिलाकर प्रदान करते हैं ताकि दोनों एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभाव उपलब्ध हो सके।
- टीट सीलेंट्स को इंट्रामैमरी इंफ्यूजन के रूप में उदाहरण के लिए प्रयोग किया जाता है ताकि थन में नई संक्रमण की रोकथाम की जा सके।
- Teat Sealant Intramammary Infusions का उपयोग मुख्यत पशु के शुष्ककाल (पशु के प्रसव से 3 महीने पहले दूध निकलना बंद किया जाता है।उस समय को शुष्ककाल कहते है। ) के दौरान किया जाता है।
- Herbal Intramammary Infusions में प्राकृतिक जड़ी – बूटियों को शामिल किया जाता हैं जिनमें एंटीमाइक्रोबियल या एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, हालांकि उनकी प्रभावकारिता भिन्न हो सकती है और अधिक अनुसंधान की आवश्यकता होती है।
- Herbal Intramammary Infusions का उपयोग मुख्यत गाँवों में किया जाता है।
Best Practices for Mastitis Management & Control in Cattle
- डेयरी फार्म पर सख्त स्वच्छता बनाए रखें, सभी क्षेत्रों को नियमित रूप से डिसइंफेक्ट करें।
- स्वस्थ जानवरों से संक्रमित जानवरों को अलग रखें।
- संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए “पूर्ण दूध दोहन” दूध निकालने की तकनीक का पालन करें।
- थनेल्ला के लक्षणों के आरंभ में ही उपचार शुरू करें।
“Treatments and Management of Mastitis in Cattle: Explore intramammary infusion and other methods for effective mastitis treatment in cows. Learn about mastitis in animals, its symptoms, and remedies, including mastitis tubes.”
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गायों में थनेल्ला रोग क्या है?
थनेल्ला रोग के कितने प्रकार होते हैं?
प्राथमिक रूप से दो प्रकार के थनेल्ला रोग होते हैं:
1. बैक्टीरियल थनेल्ला रोग (Becterial Mastitis): जीवाणुओं के कारण होता है।
2. कवकीय थनेल्ला रोग (Fangal Mastitis) : कवकों के कारण होता है।
गायों में थनेल्ला रोग के क्या लक्षण होते हैं?
थनेल्ला रोग के तीन प्रकार होते हैं:
1. Acute / Clinical Mastitis : सूजन और दर्द, बुखार और दूध की दिखाई बदलती रंगत।
2. Sub Acute / Sub-Clinical Mastitis (SCM) : सूजन, कम दर्द, विशेष रंग का दूध।
3. Chronic Mastitis : थन में फाइब्रोसिस, साथ ही दर्द और रंग का बदलाव।
थनेल्ला रोग की निदान कैसे होता है?
गायों में थनेल्ला रोग के उपचार कैसे किए जाते हैं?