"जैसलमेरी ऊँट की नस्ल: विशिष्ट पहचान, जलवायु अनुकूलता और उपयोगिता"

जैसलमेरी ऊँट की नस्ल (Jaisalmeri Camel Breed)

जैसलमेरी ऊँट ((Jaisalmeri Camel) राजस्थान के धूपभरे रेगिस्तानों में पाए जाते  हैं और अपनी फुर्ती, सहनशीलता के लिए जाने जाते हैं। मुख्य रूप से जैसलमेर जिले में निवास करने वाले ये ऊँट क्षेत्र की कठोर, शुष्क जलवायु में अच्छी तरह से अनुकूलित हो गए हैं। इनके विशेष लक्षण, जैसे मध्यम कद, हल्का भूरा रंग और मजबूत स्वभाव, इन्हें अन्य ऊँटों की नस्लों से अलग बनाते हैं।

जैसलमेरी ऊँट स्थानीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में कार्य करते हैं। ये रेगिस्तान में कुशल परिवहन प्रदान करते हैं और पर्यटन उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसलमेरी ऊँट का उपयोग भारतीय सेना (BSF) द्वारा रेगिस्तानी सीमावर्ती इलाकों को सीमा सुरक्षा के लिए किया जाता है। 

Bikaneri Camel,बीकानेरी ऊँट की उत्पत्ति,बीकानेरी ऊँट की पहचान,बीकानेरी ऊँट की विशेषताएँ और उपयोगिता

जैसलमेरी ऊँट का मूल स्थान और वितरण (Origin and distribution of Jaisalmeri Camel) :

  • जैसलमेरी ऊँटों ((Jaisalmeri Camels) का निवास स्थान राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले के अत्यधिक शुष्क जलवायु वाले क्षेत्रों में है। 
  • ये ऊँट भारत के तेज-तर्रार ऊँटों की सवारी (Camel Safaris) करने वाले होते हैं और जैसलमेर शहर के आसपास और इसी नाम के जिले में पाले जाते हैं। 
  • जैसलमेरी ऊँट की उत्पति पाकिस्तान के सिंध प्रान्त जिले के थारपारकर केमल से हुई है। 

  • जैसलमेरी नस्ल के ऊँट बाड़मेर, बीकानेर  और जोधपुर जिलों में भी पाए जाते हैं।

पशुगणना 2003 के अनुसार : 

  • पशुधन जनगणना, 2003 के अनुसार, जैसलमेरी ऊँट की कुल आबादी लगभग 0.118 मिलियन होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें 0.0329 मिलियन प्रजनन योग्य नर ऊँट और 0.0413 मिलियन प्रजनन योग्य मादा ऊँट शामिल हैं। 
  • जैसलमेरी ऊँटों के उत्कृष्ट नमूने नचना, अचला, मंधा और देवीकोट जैसे गाँवों में पाए जाते हैं, जिनमें से विशेष रूप से नचना गाँव इन ऊँटों के लिए जाना जाता है।

जैसलमेरी ऊँटों की जलवायु अनुकूलता (Climate suitability of Jaisalmeri camels) :

  • जैसलमेरी ऊँट रेगिस्तानी और शुष्क क्षेत्रों की कठोर जलवायु में सहजता से अनुकूल होते हैं।
  • जैसलमेरी ऊँट अपनी तेज गति और सहनशीलता के लिए प्रसिद्ध हैं। ये ऊँट न केवल अपने मजबूत और लचीले शरीर के कारण, बल्कि अपने तेज गति और लंबे समय तक लगातार चलने की क्षमता के लिए भी जाने जाते हैं।
  • वे उच्च तापमान और पानी की कमी जैसी कठिन परिस्थितियों में भी अच्छे से जीवित रह सकते हैं।
  • यह ऊँट प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में लंबी दूरी तक चल सकता है और कम पानी की आवश्यकता होती है।

जैसलमेरी ऊँट की पहचान (Identification of Jaisalmeri Camel) :

  • जैसलमेरी नस्ल के ऊँट मध्यम आकार के हल्के भूरे या पिले रंग (Light Brown Colour) के ऊँट होते हैं। 
  • जैसलमेरी नस्ल के ऊँटो के भौहों, पलकों और कानों पर घने काले बाल नहीं पाए जाते है जो इन्हे बीकानेरी नस्ल के ऊँटो से अलग करते है। 
  • जैसलमेरी नस्ल के ऊँटो में  माथे ऊपर (Forehead) पाया जाने वाला गड्डा (Stop) अनुपस्थित होता है।
  • ऊँटों का मुँह छोटा होता है, जबकि उनके छोटे और उभरे हुए कान होते हैं।
  • जैसलमेरी ऊँट अपनी अनूठी बनावट के लिए जाने जाते हैं। ये ऊँट मध्यम आकार के होते हैं और इनका कद हल्का होता है। 
  • जैसलमेरी ऊँटों की त्वचा पतली होती है और उनके शरीर पर छोटे बाल होते हैं। उनके थन आम तौर पर गोल आकार के होते हैं।
Bikaneri Camel,बीकानेरी ऊँट की उत्पत्ति,बीकानेरी ऊँट की पहचान,बीकानेरी ऊँट की विशेषताएँ और उपयोगिता

  • जैसलमेरी ऊँट प्रति दिन 20-25 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने की क्षमता रखते हैं।
  • जैसलमेरी ऊँटों की सहनशीलता और क्षमता उन्हें एक दिन में 100 से 125 किलोमीटर की दूरी तय करने में सक्षम बनाती है। 
  • ठंडी रातों में, जैसलमेरी ऊँट 160 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकते हैं।
ऊँटों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी:

जैसलमेरी ऊँटों की उपयोगिता (Usefulness of Jaisalmeri Camels) :

  • जैसलमेरी ऊँट तेज गति से दौड़ सकते हैं और लंबी दूरी तक बिना थके यात्रा कर सकते हैं। इसी कारण जैसलमेरी ऊँट को रेसिंग केमल (Racing Camel) भी कहते है। 
  • जैसलमेरी ऊँट एक दिन में 100 - 125 किलोमीटर की दुरी तय कर सकते है। ठंडी रातों में यह दुरी बढ़ जाती है।
  • जैसलमेरी ऊँट का उपयोग भारतीय सेना (BSF) द्वारा रेगिस्तानी इलाकों में सीमा सुरक्षा के लिए किया जाता है।  
  • जैसलमेरी ऊँट डांस / नाचने के लिए भी प्रसिद्ध हैं। इसीलिए जैसलमेरी ऊँट को डांसिंग केमल (Dancing Camel) भी कहते है। 
  • इनके कृषि कार्यों और माल परिवहन में उपयोगिता की वजह से ये स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन हैं।

भारत में ऊँटों की जनसंख्या :

  • भारत ऊँटों की जनसंख्या के मामले में विश्व में तीसरे स्थान पर है। इस आबादी का मुख्य योगदान राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से आता है। 
  • विशेष रूप से, राजस्थान ऊँटों की कुल जनसंख्या का 70% हिस्सा बनाता है, जबकि हरियाणा का योगदान 11% है। 
  • इसके अलावा, पंजाब और गुजरात दोनों का योगदान 6% और 7% है। उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्य भी ऊँटों की आबादी को बढ़ाने में सहायक हैं।

जैसलमेरी ऊँटों का पौष्टिक आहार :

  • जैसलमेरी ऊँटों के आहार में पौष्टिक और स्थानीय वनस्पतियाँ प्रमुख भूमिका निभाती हैं। उन्हें आम तौर पर ग्वार, चने और गेहूं का भूसा, ज्वार, बाजरा और जई खिलाया जाता है। 
  • इसके अलावा, ये ऊँट बारहमासी घासों जैसे सेवण घास और साइपरस रोटंडस (कोको-घास, जावा घास, नट घास) पर भी चरते हैं। 
  • झाड़ियाँ जैसे फोग और केर के अलावा फोग घास , खेजड़ी , कीकर और जाल जैसे पेड़ भी उनके आहार का हिस्सा होते हैं, जिससे उनकी पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं।
  • सेवण घास मुख्यत राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और श्रीगंगानगर आदि जिलों में पायी जाती है। 
Jaisalmeri Camel Information

Jaisalmeri Camel Information

मूल स्थान जैसलमेर, राजस्थान और पाकिस्तान के सिंध प्रांत में उत्पत्ति।
वितरण राजस्थान के बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर जिलों में भी।
विशेषता हल्के भूरे या पीले रंग के ऊँट, मध्यम आकार के। भौहों, पलकों, कानों पर घने बाल नहीं होते।
उपयोगिता जैसलमेरी ऊँट एक दिन में 100-125 किमी दूरी तय कर सकता है। रेगिस्तानी सीमा सुरक्षा और नृत्य के लिए भी प्रसिद्ध।
आहार स्थानीय वनस्पतियों से पोषित। ग्वार, चने, जौ, बाजरा, सेवण घास, और अन्य परंपरागत खाद्य पदार्थ।
Rajasthan Express: Your Guide to Animal Health

निष्कर्ष (Conclusion) :  

जैसलमेरी ऊँटों की फुर्तीली प्रकृति, जलवायु अनुकूलता, और बहु-उपयोगिता ने उन्हें जैसलमेर और आसपास के रेगिस्तानी क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण संसाधन बना दिया है। इनकी विशिष्ट पहचान और विशेषताएं उन्हें ऊँटों की अन्य नस्लों से अलग और स्थानीय निवासियों के लिए आवश्यक बनाती हैं।

Follow Us on Social Media

Stay connected with The Rajasthan Express by following us on our social media platforms:

ऊंट की सबसे सुंदर नस्ल कौन सी है?
ऊंट की सबसे सुंदर नस्ल बीकानेरी ऊँट मानी जाती है। यह नस्ल अपनी गहरे भूरे रंग की कोट, भौंहों और कानों पर घने काले बालों, चमकीली आंखों के ऊपर गड्डा (Stop) के लिए प्रसिद्ध है। यह ऊँट दुनिया के सबसे सुंदर ऊँटों में से एक माना जाता है।
राजस्थान में ऊंट की नस्ल कौन कौन सी है?
राजस्थान में प्रमुख ऊंट की नस्लों में जैसलमेरी, बीकानेरी, मालवी, कच्छी, मेवाती, अफगानी, बागड़ी, सिंधी, खराई शामिल हैं। प्रत्येक नस्ल के ऊँट अपनी विशिष्ट विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं, जैसे कि सहनशीलता, जलवायु अनुकूलता, रंग और उपयोगिता।
ऊंट के बच्चे को क्या कहा जाता है?
ऊँट के नर बच्चे को "टोरडिया" (Tordia) व मादा बच्चे को "टोरडी" (Tordi) कहा जाता है।
नर और मादा ऊंटों को क्या कहते हैं?
नर ऊँट को "ऊँट" या "Maiya" कहा जाता है, जबकि मादा ऊँट को "ऊंटनी" या "Sand" कहा जाता है।
राजस्थान में सर्वाधिक ऊंट वाला जिला कौन सा है?
राजस्थान में सर्वाधिक ऊँट वाला जिला बीकानेर और जैसलमेर है। ये जिले ऊँटों की उच्चतम जनसंख्या और उनके समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाने जाते हैं।
जैसलमेरी ऊँट की उत्पत्ति कहाँ से हुई है?
जैसलमेरी ऊँट की उत्पत्ति पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थारपारकर क्षेत्र के ऊँटों से हुई है। जैसलमेर जिले में इस नस्ल का विस्तार हुआ है और यह क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है।
'रेसिंग ऊँट' किसे कहा जाता है?
'रेसिंग ऊँट' जैसलमेरी नस्ल के ऊँटों को कहा जाता है। ये ऊँट दौड़ने में काफी बेहतर होते हैं। ये ऊँट अपनी तेज़ गति और सहनशीलता के कारण ऊँटों की दौड़ के लिए उपयुक्त होते हैं। राजस्थान में विशेष ऊँट रेसिंग के आयोजन किए जाते हैं, जो क्षेत्र के सांस्कृतिक उत्सवों का मुख्य आकर्षण होते हैं।