All About Kadaknath Chicken: Benefits, Prices, and More
The Kadaknath Chicken: A Marvel of Nature
कड़कनाथ मुर्गा (Kadaknath Chicken), जिसे कालामासी मुर्गे के नाम से भी जाना जाता है, भारत के मध्यप्रदेश से उत्पन्न एक मुर्गी की नस्ल है। कड़कनाथ मुर्गा अपने स्वादिष्ट काले मांस और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यह नस्ल मध्य प्रदेश के जनजातियों के सामाजिक-सांस्कृतिक और औषधीय प्रथाओं को प्रदर्शित करता है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कड़कनाथ मुर्गे को GI Tag दिया गया है। इसी कारण इस नस्ल की उपयोगिता व् बाजार में मांग बढ़ गयी है। भारत में वर्तमान में NBAGR द्वारा जानवरों और पोल्ट्री की कुल 220 देशी नस्लें पंजीकृत हैं। पहले, कुल 212 नस्लें पंजीकृत थीं। दिसम्बर 2023 में, 8 नई नस्लों को पंजीकृत किया गया है, जिससे कुल पंजीकृत नस्लों की संख्या 212 से बढ़कर 220 हो गई है। भारत में वर्तमान में पोल्ट्री की कुल देशी नस्लें 20 है।
Breed of Kadaknath Chicken
General Info. |
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Alternate Names |
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Origin |
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Distribution | Madhya Pradesh |
Use | Food - Meat; Socio-cultural - religious ceremonies & aphrodisiac |
Male Weight | Average: 1.6 kg |
Female Weight | Average: 1.125 kg |
Colour |
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Housing System | Free ranging |
Egg Production | 80 / Year |
Egg Weight (g) | 40 |
The Rajasthan Express: Your Guide to Animal Health |
Origins and History of Kadaknath Chicken (कड़कनाथ मुर्गे का जन्म स्थान)
Characteristics of Kadaknath Chicken (कड़कनाथ मुर्गे की पहचान)
- कड़कनाथ मुर्गे की मुख्य विशेषता इसके शरीर का काला रंग है, जिसे फाइब्रोमेलानोसिस के रूप में जाना जाता है।
- कड़कनाथ मुर्गे की त्वचा का रंग काला होता है।
- कड़कनाथ मुर्गे के पंखों का रंग स्लेटी होता है।
- कलगी और वेटल का रंग सामन्यत : काला (blue-black) होता है। कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Chicken) के शरीर के ज्यादातर अंगो का रंग काला होने के कारण इसे कालामांसी मुर्गा भी कहा जाता है।
Nutritional and Medicinal Benefits of Kadaknath Chicken (औषधीय गुण)
Breeding and Management of Kadaknath Chicken (पालन - पोषण)
(Key Points) मुख्य बिंदु
- कड़कनाथ मुर्गे के शरीर , कलंगी , वेटल , पंख , खून (Blood) और मांस का रंग काला होता है। जिस कारण इसे कालामांसी मुर्गा भी कहा जाता है।
- कड़कनाथ मुर्गे के काले रंग के लिए मेलैनिन वर्णक जिम्मेदार होता है।
- इस प्रणाली में मुर्गियों को खेत में खुला रखा जाता है। इसमें भोजन का मुख्य स्रोत घास होता है। मुर्गियों के लिए छत की कोई सुविधा नहीं होती है।
- इस प्रणाली में जैविक अंडा उत्पादन होता है। इस प्रणाली को भूमि प्रधान प्रणाली (Land Base System) भी कहा जाता है।
- ये ओषधिया कामोत्तेजक को बढ़ाने का कार्य करती है। कड़कनाथ मुर्गे के मांस में Aphrodisiacs का गुण पाया जाता है।
- क्रोनिक बीमारियों की अवधि 1 माह से लेकर लम्बे समय तक होती है। उदा. टीबी , ब्रुसलोसिस , सर्रा आदि।
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